सोमवार, 29 अगस्त 2022

पावर एंड डिसटीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर (Power and Distribution Transformer)

 पावर एंड डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर क्या होता है? इसआर्टिकल के जरिए हम जानते हैं पावर तथा डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर के बारे में ।

पावर तथा डिसटीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर की संरचना लगभग समान होती है ।और पावर ट्रांसफार्मर की kVA क्षमता सामान्यतः2, 000 kVAसे 20,000 kVA तक होती है और इसकी प्राइमरी वाइंडिंग्स स्टार- संयोजन में तथा सेकेंडरी वाइंडिंग डेल्टा- संयोजन में संयोजित होती है।
डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर की kVA क्षमता सामान्यतः 5 kVA से 2000 kVA तक होती है और इसकी प्राइमरी वाइंडिंग डेल्टा- संयोजन में तथा सेकेंडरी वाइंडिंग स्टार - संयोजन मैं संयोजित होता है। डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर के सेकेंडरी वाइंडिंग को स्टार- संयोजन में संयोजित करने का मुख्य लाभ यह है कि इससे थ्री फेज सप्लाई के साथ-साथ सिंगल फेज सप्लाई भी प्राप्त की जा सकती है।
सामान्यत ः 15,000 kVA से कम क्षमता वाले ट्रांसफॉर्मर एल .टी .ट्रांसफॉर्मर (LT Transformer) कहलाते हैं। इसी प्रकार,15,000 kVA से अधिक क्षमता वाले ट्रांसफार्मर एच.टी.(HT Transformer) ट्रांसफार्मर कहलाते हैं।

ट्रांसफार्मर के भाग (Part ofa Transformer) पावर या डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर मैं निम्नलिखित भाग होते हैं: 
  1. क्रोड,
  2. प्राइमरी वाइंडिंग्स,
  3. सेकेंडरी वाइंडिंग्स,
  4. आयल टैंक,
  5. ट्रांसफार्मर आयल,
  6. कूलिंग पाइप,
  7. आयल इनलेट वाल्व,
  8. आयल आउटलेट ड्रेन कॉक,
  9. आयल गेज,
  10. प्राइमरी टर्मिनल,
  11. सेकेंडरी टर्मिनल्स,
  12. अर्थ पॉइंट,
  13. डाटा प्लेट,
  14. एक्सप्लोजन वेंट,
  15. कंजरवेटर,
  16. ब्रीदर,
  17. सिलिका जैल,
  18. टैपिंग स्विच,
  19. बुकोल्ज रिले तथा,
  20. तापमापी।

Distribution transformer image

पावर/डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर की सुरक्षा युक्तियां (Safety Device of Power Distribution Transformer) ट्रांसफार्मर में वर्णित भागों में से कंजरवेटर, ब्रीडर ,तापमापी, एक्सप्लोजन वेंट , बकोल्ज रिले, आयल गेज, टैपिंग स्विच, आदि उसकी सुरक्षा युक्तियां कहलाती हैं।

कंजरवेटर (Conservator) एक छोटा आयल टैंक है जो मुख्य आयल टैंक ( ट्रांसफार्मर की बाडी) के ऊपर स्थापित होता है इसमें लगभग आधे स्तर तक ट्रांसफार्मर आयल भरा होता है और इसी टैंक में आयल गैस लगाया जाता है ।

कंजरवेटर का कार्य: -
  1. मुख्य टैंक में तेल के स्तर को बनाए रखना।
  2. तेल का तापमान बढ़ने से उसके आयतन में होने वाले फैलाव को स्थान देना।
  3. जब तेल ठंडा होकर सुकुड़ता  है तो उस समय कंजरवेटर, मुख्य टैंक को तेल की आपूर्ति करता और साथ ही नमी को तेल में नहीं पहुंचने देता।
ब्रीदर (Breather) जब ट्रांसफार्मर आयल ठंडा होकर सिकुड़ता है तो कंजरवेटर के रिक्त हुए स्थान की पूर्ति वायुमंडल की वायु से होती है, यह क्रिया सांस लेना कहलाती हैं।

इस प्रक्रिया में वायुमंडल की नमी तेल में प्रवेश कर सकती है और उसके अचानक गुण को घटा सकती है तेल में नमी के प्रवेश को रोकने के लिए ही ब्रीदर प्रयोग किया जाता है।



ब्रीदर मे वायु की नमी सूखने के लिए सिलिका जेल रखी जाती है यह रंग में सफेद होती है। और नमी सोख लेने के बाद आसमानी नीले रंग की हो जाती है। जब लगभग सारी सिलिका जेल कार रंग आसमानी नीला हो जाता है, तो उसे परिवर्तित कर दिया जाता है।
अन्य प्रकार के वेदर में रबड़ डायफ्राम, थर्मोसायफन फिल्टर, गैस कुशन, आदि प्रयोग किए जाते हैं परंतु सिलिका जेल का प्रयोग अधिक प्रचलित है।

तापमापी (temperature gauge):-ट्रांसफार्मर आयल का तापमान नापने के लिए मुख्य टैंक में एक तापमापी लगाया जाता है, ट्रांसफार्मर आयल का तापमान 100 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं बढ़ने देना चाहिए और ट्रांसफार्मर  के विसंयोजित कर उसकी शीतलन प्रणाली आदि में दोष खोजना चाहिए।

एक्सप्लोजन वेंट (Explosion Vent):- 
  • यह सुरक्षा युक्ति कंजरवेटर का मुख्य टैंक से जुड़ने वाले पाइप पर स्थापित की जाती है।
  • यदि किसी दोष के कारण ट्रांसफार्मर आयल का दबाव बहुत अधिक बढ़ जाए तो ऐसी स्थिति में मुख्य टैंक की सुरक्षा के लिए एक्सप्लोजन वेंट लगाया जाता है।
  • इसे प्रेशर रिलीज वाल्व भी करते हैं
  • तेल का दाम निर्धारित मान से अधिक हो जाने पर इसका डायफ्राम टूट जाता है, और अतिरिक्त तेल बाहर निकल जाता है ।ऐसी स्थिति में ट्रांसफार्मर के दोष को दूर कर नया वाल्व लगाया जाता है।
बकोल्ज रिले (Buchholz Relay)
बकोल्ज रिले,  ट्रांसफार्मर की मुख्य सुरक्षा युक्ति है जो ट्रांसफार्मर मे आंतरिक दोष पैदा हो जाने की स्थिति की सूचना एक अलार्म बेल बजा कर देती है और साथ ही ट्रांसफार्मर की स्रोत से वी संयोजित कर देती है।
सामान्यतः इसका उपयोग,अधिक क्षमता वाले ट्रांसफार्मर में यह किया जाता है। 



Bucholz Relay emage

बकोल्ज रिले का कार्य 
  • इस रेले में दोफ्लोट A तथा B होते हैं इनसे जुड़े दो मरकरी स्विच होते हैं।
  • जब तेल में उस मां के कारण गैस अधिक पैदा हो जाती है तो फ्लोट A नीचे गिर जाता है जिससे एक विद्युत घंटी परिचालित हो जाती है, जो ट्रांसफार्मर की इस स्थिति की सूचना देने का कार्य करती है।
  • यदि तेल बहुत अधिक गर्म हो जाए तो वह तीब्रता से कंजरवेटर की ओर जाता है तेल की तीव्र गति के कारण फ्लोट B, दूसरे मरकरी स्विच के द्वारा ट्रांसफार्मर की स्रोत से वीसंयोजित कर देता है।
  •  यह स्विच एक सर्किट ब्रेकर की भांति कार्य करता है।
आयल गेज (Oil Guage):-कंजरवेटर में उपस्थित तेल का स्तर दर्शाने के लिए इसमें एक आयल गेज लगाया जाता है।

टैपिंग स्विच (Tapping Switch):-
  • ट्रांसफार्मर की आउटपुट वोल्टेज को नियत मान पर रखने के लिए टैपिंग  स्विच प्रयोग किया जाता हैं।
  • यह एक हस्त चालित स्विच कंट्रोल होता है जो सेकेंडरी वाइंडिंग की विभिन्न टैपिंग्स  से सयोजित होता है।
  • इस स्विच के द्वारा वोल्टेज को आवश्यकता अनुसार घटाने /बढ़ाने के लिए सेकेंडरी वाइंडिंग्स के टर्न को घटाया/ बढ़ाया जाता है।
  • टैपिंग  स्विच को टैप - चेंजर भी कहते हैं।




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